Saturday, September 20, 2008

वर्षों बाद



वर्षों बाद

वर्षों बाद दिखा चेहरा तेरा आइने में,
कुटिल मुस्कान तेरे चेहरे से हटा न सकी तेरी उम्र ने।
बेवफाई का चोला हटा न सकी तेरी आदत ने,
वर्षों बाद बदल न सका तेरे चेहरे को तेरे आइने ने।
दुनिया कहती रही खामियों का पुलिंदा हो तुम,
फिर भी तेरा प्यार हटा न सका अपने जेहन से।
तेरी याद में मैं जाम पर जाम पीता रहा,
पर हटा न सका बोतल अपने कमरे से।
काश तू कबूल करती मेरा प्यार अपने जमानें में,
तो आज न होता मैं इस मयखानें में।
हाल ए दिल किसी को सुनाता हुं अपना बनाकर,
लोग ठुकराते है मुझे तेरा आशिक बताकर।

----रजनीश कुमार

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