Tuesday, June 30, 2020

।।सब कुछ रूक सा गया।।

Writer & Director कहानीबाज RAJNISH BABA MEHTA


कोरे कागज़ पर लिखते-लिखते, आंखों के रस्ते दिल में उतर गया 
लम्हों के इंतज़ार में अधूरी ज़िंदगी, धीरे-धीरे बरसों में गुजर गया ।। 

रूहानी लफ़्जों तले हर रोज किस्सों की नई बानगी सुनाती रही 
फ़ासलों की फ़िक्र लिए,फैसले की फिराक़ में, सब कुछ रूक सा गया।।

डूबती क़श्ती के किनारों पर ना जाने, कौन सी क़यामत ढ़ूंढ़ती रही 
किनारों की तलाश में उस रोज, ना जाने क्यों पानी पर बिखरता चला गया।।

पिघलती मोम सी अश्क़ लिए, ख़्वाहिशों की निशां पर खूब हंसती रही 
दरकते दरख़्त की दरारों में, ना जाने क्यों अकेले ही सिमटता चला गया।।

सरे-राह मुलाकात के ख़्याल में मिलती हर रोज, फिर भी वो नजरें चुराती रही 
पाने की तमन्ना लिए हर पल खोते हुए भी, साख समझकर राख पर चलता गया।। 

बिखरती राहों पर गुजरते वक्त के साथ वो हर पल संवरती रही     
रूठी तक़दीरों की तलाश में, मैं ख़ुद मेरे पास से ही निकल गया ।।


कातिब 
रजनीश बाबा मेहता