Monday, September 15, 2008

एक रिश्ता



एक रिश्ता जो अभी-अभी बन रहा था
टूटने लगा मगर बनने से पहले
सीखने लगे थे हम आपसे मुस्कुराना
रूला दिया मगर हंसने से पहले
एक महल बनाया सपनों की दुनिया का
गिर गया वो नींव रखने से पहले
भिक्षा के लिए जो हमने झोली फैलाई
खींच लिया हाथ मगर कुछ देने से पहले
जिंदगी की परिभाषा जो खोजने हम निकले
जिंदगी छीन गई जीने से पहले
क्या यही अर्थ होता है रिश्तों का
ढ़ूंढ़ना होता है उन्हें बनने से पहले


-रजनीश कुमार

No comments: