Friday, April 27, 2012

उस रात की मेरी कहानी



वो कहानी सुनी थी तुमने
कैसे पहली बार तरंगो की झलक
साथ साथ चलने को राजी हुई।
लगता है भूल गए हो तुम
सुनाऊ...ठीक है तो सुनो...
सिर्फ अपनी और उसके लफ्जों को बताउंगा

बातें अभी पुरी नहीं हुई
ऐ रात थोड़ा थम थम के गुजर
क्यों आशियाने में आंधी हुई
क्यों बेसब्री सी हालत हुई 
ऐ रात थोड़ा थम थम के गुजर
उसके जाने का वक्त हो गया
धड़कनें टूटने लगी कुछ कुछ
मन्हूसियत में डूबने लगा सबकुछ
मासूमियत ओढ़े उठने लगी
मानों जिस्म कांपने लगा कुछ कुछ
उंगलियों की सिहरन लिए
उदासी में खोने लगा सबकुछ
लालिमा छाने का वक्त आ गया
झुटपुटे अंधेरों को भी मालूम हो गया
रूह भी बेगानी फिजां में समाने को बेताब हो गया
चादर की सिलवटें भी टूटने लगी कुछ कुछ
कांपती होठों के शब्दों में समाने लगा सबकुछ
पाजेब उठाके हाथों में लिए मुड़ेगी कभी
किस गली खो गई .......पता भी नहीं दे गई
नाराज थी शायद वो मुझसे
अब क्या करूं .जब खो गया सबकुछ मुझसे
जिस्म का हर अंग टूटने लगा कुछ कुछ 
पौ फटी दिन के उजाले में खो गया सबकुछ

                           ऱजनीश कुमार 
                           'BaBa Mehta'
                          The Director's Cut