हम
भटकते है मुसाफिरों की तरह ज़िंदगी में हम
मंजिलों को ढूंढते है मुसाफिरों की तरह ज़िदगी में हम
हालातों से जूझते हैं मजबूरों की तरह ज़िदगी में हम
काँटों के बीच चलते हैं गुलाबों की तरह ज़िदगी में हम
क्या ऐसा ही चलता ही रहेगा इस बारे में सोचते क्यों नहीं हम
ऐ खुदा निजात दिला दे इन मुश्किलों से तेरे बंदे है हम।
----रजनीश कुमार
मंजिलों को ढूंढते है मुसाफिरों की तरह ज़िदगी में हम
हालातों से जूझते हैं मजबूरों की तरह ज़िदगी में हम
काँटों के बीच चलते हैं गुलाबों की तरह ज़िदगी में हम
क्या ऐसा ही चलता ही रहेगा इस बारे में सोचते क्यों नहीं हम
ऐ खुदा निजात दिला दे इन मुश्किलों से तेरे बंदे है हम।
----रजनीश कुमार
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