क्यों ?
हम है, आज हैं, कल नहीं होंगे,
क्या है, क्यों है, पता नहीं कब होंगे ?
मौत एक अंधेरा है, जिंदगी सवेरा है,
फिर भी जिंदगी साथ क्यों नहीं देती।
एक मौत है पता नहीं साथ क्यों नहीं छोड़ती?
एक जिंदगी है जो हमेशा दगा दे जाती है,
फिर भी मनुष्य को जीने की चाहत क्यों हो जाती है?
मौत कभी बेवफा नहीं होती,हमेशा समय पे ही आती है,
फिर भी मनुष्य न जाने मौत से क्यों घबराता है?
-------रजनीश कुमार
5 comments:
कहने को तो साँसें चलतीं हैं,
यात्रा-क्रम भी प्रतिपल बढता जाता है।
पर मैंने देखा सौ सौ बर्षों में,
मुश्किल से कोई एक दिवस जी पाता है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं ई-गुरु राजीव हार्दिक स्वागत करता हूँ.
मेरी इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
यदि कोई सहायता चाहिए तो खुलकर पूछें यहाँ सभी आपकी सहायता के लिए तैयार हैं.
शुभकामनाएं !
--'ब्लॉग्स पण्डित'
http://blogspundit.blogspot.com/
आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ 'ब्लॉग्स पण्डित' पर.
रजनीश जी सुंदर रचना मज़ा आ गया
बधाई स्वीकारें /समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें
achhi picture ka istemaal kiya hai apne.
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