Thursday, October 9, 2008

बदला गया......?


बदला गया......?



रिश्ते बदलते देर नहीं लगी, मगर चेहरा वही था।
रास्ते बदलते देर नहीं लगी, मगर मंजिल वही था।

मुश्किलें बदलते देर नहीं लगी, मगर हालात वही था।
ख्वाब बदलते देर नहीं लगी, मगर नींद वही था।

क्या कभी सोचा है हमने-आपने इस बारें में,
आज वक्त बदल गया, मगर सोचने का तरीका वही है।

अंजाम बदल गया, मगर अपना मकाम वही है।
हर कोई बदल गया, मगर अपना गुरूर नहीं बदला।

आज मंदिर-मस्जिद बदल गया, मगर भगवान नहीं बदला।
सब कुछ बदलते नहीं लगी, मगर आज भी समय नहीं बदला।


------रजनीश कुमार




1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है।बधाई।