Thursday, October 9, 2008

खामोश दिल


खामोश दिल



उसकी यादों में हर पल जिया करते थे हम,
उनकी सलामती की दुआ मांगा करते थे हम।
आज वो नहीं है फिर भी वो लम्हा याद आती है,
जब उसके कूचे से बेआबरू होकर निकला करते थे हम।
वो हमें देखकर कर पलट जाया करती थी,
फिर भी खामोश दिल को तसल्ली दिया करते थे हम।

हर कोई बताता था उसकी बेवफाई की कहानी,
फिर भी उसकी यादों में खोए-खोए से रहते थे हम।
किसी की बातें नहीं सुनता एक समय रह गया मैं अकेला,
फिर भी उसकी यादों की गहराई में डूबे थे हम।

दुनिया की भीड़ में रह गया था मैं अब अकेला,फिर भी उसकी चाहत में जिए जा रहे थे हम।



--------रजनीश कुमार 'बाबा'

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