Thursday, October 2, 2008

रिश्ते की डोर


रिश्ते की डोर

रिश्ते की डोर टूटने लगी थी,
एक हाथ से थामा मैंने,
फिर भी रिश्ते की डोर छूटने लगी थी।
उसने थामा, मैंने थामा,
फिर भी रिश्ते की डोर छूटने लगी थी।
वक्त ने समझाया,आइने ने दिखाया,
फिर भी हकीकत से नाता टूटने लगी थी।
बहुत गिरगिराया,बहुत रोका मैंने उसको
फिर भी वो मुझसे दूर जाने लगी थी।
बेवफाई कर गई वो मुझसे दिल नहीं माना,
फिर भी उससे मेरा नाता टूटने लगा था।
लाख कोशिश की मैंने,हुआ मैं प्यार में असफल,
मैं भी उससे नाता तोड़ने की सोचने लगा था।

-----रजनीश कुमार

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