ऐ खुदा....मैं हूं अकेला.....!
एक सूनापन है उसके बिना मेरी जिंदगी में।
काश वो लौट आती किसी को छोड़कर मेरी जिंदगी में।
अगर वो लौट आती तो आज न होता मैं इस मयखाने में।
आज तू नहीं तभी तो ढूंढ़ता हूं, मैं तुझे उस बेजुबां निशानी में।
पीने के बाद भूलना चाहता हूं, मैं उसको, फिर भी रहती है वो मेरी यादों में।
य़ाद आती है, वो दिन, जब गहरी दोस्ती थी, हम दोनों में।
जीने मरने की कसमें खाते थे, हम दोनों जाकर मंदिर-मस्जिदों में।
कभी मांगा करती थी, वो मुझे अपने मन्नतों में।
आज वो नहीं मैं हूं अधूरा, ऐ खुदा मैं भी नही रहूंगा अकेला,
तेरे इस जन्नत में।
-----रजनीश कुमार
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