इंतजार औऱ मैं....!
तेरे आने की जिद लिए बैठा हूं मैं...
तेरे यादों में जीने के लिए बैठा हूं मैं...
सूनी राह को तकती है हरपल मेरी आंखें..
वो धूप की छांवों में तेरा इंतजार लिए बैठा हूं..
अपने आप की तलाश में भटकता हुआ
तेरे करीब आने की फिराक में बैठा हूं मैं....
लोंगो की नसीहतों को नकारता जा रहा हूं ..
तुझे बेपर्दा होकर जाते देख रहा हूं मैं...
काश तू एक नजर भर देख लेती मेरी निगाहों को...
तो यूं न तेरे इंतजार में बैठा होता मैं...
तेरे यादों में जीने के लिए बैठा हूं मैं...
सूनी राह को तकती है हरपल मेरी आंखें..
वो धूप की छांवों में तेरा इंतजार लिए बैठा हूं..
अपने आप की तलाश में भटकता हुआ
तेरे करीब आने की फिराक में बैठा हूं मैं....
लोंगो की नसीहतों को नकारता जा रहा हूं ..
तुझे बेपर्दा होकर जाते देख रहा हूं मैं...
काश तू एक नजर भर देख लेती मेरी निगाहों को...
तो यूं न तेरे इंतजार में बैठा होता मैं...
-----रजनीश कुमार
2 comments:
pure n unceasing:)
Fraud और सिर्फ फ्रॉड। बोलता कुछ है और लिखता कुछ है
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