Sunday, January 4, 2009

है जवाब


है जवाब.............?


उस रात की परछाई आज भी याद है मुझे
मैं अपने नीदों के ख्यालों में खोया था...
वो ओस की बूंदे मेरे चेहरे से टकराती...
फिर अपने में ही गुम होकर वो कहीं खो जाती...

रात के जुगनुओं ने भी रची है एक अलग कहानी...
ओस की बूंदों से प्यास मिटाकर बचा रही है अपनी निशानी...
हर पल नए ख्यालों को बुनता जा रहा हूं मैं...
उस राह की मोड़ पर मुड़ना भूल गया हूं मैं....

इन सुनसान मिट्टी भरी गलियों में अकेला चलता जा रहा हूं मैं...
हर कदम पर सवालों से परेशान होता जा रहा हूं मैं..
क्या अपने रास्तों से भटक गया हूं मैं.... ?
क्या एक चेहरे की याद में दूर तलक आ गया हूं मैं ?
-------रजनीश कुमार

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