तेरे इश्क में....
तेरे आने की इंतजार में सूनी गलियों को तकती है मेरी आंखे
हर पल हर घड़ी तेरी आहट सुनने को बेताब रहती है मेरी रूह
मैं उस मोड़ पर खड़ा हूं जहां सामने बंद गलियां है
फिर भी उसी बंद गलियों में तेरा इंतजार किए जा रहा हूं मैं।
अंधेरी रातों में दिये के समान है तेरा चेहरा
फिर भी चांद का इंतजार किए जा रहा हूं मैं।
हर पल तेरे ख्यालों में खोया रहता है मेरा मन।
फिर भी तेरे इंतजार में क्यों जिए जा रहा हूं मैं।
----रजनीश कुमार
1 comment:
मोड़ पर खड़ा हूँ जहा सामने बंद गलियां है, फिर भी तेरे इंतजार मे जिए जा रहा हूँ.... बहुत खूब
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