खबरों की बेबसी या खबरों का रण
ये खबर है या खेल है
यहां हर बात पे मेल ही मेल है
खबरों की वार तलवारों की धार
यहां है हर ख्वाहिशों की हार ।
यहां न कोई अंत है न शुरूआत है
हर खबरों पर सिर्फ अघात ही अघात है।
टीआरपी की होड़ में क्या मुंबई क्या गुजरात है
हर शहर में बस खबरों की बरसात है।
न जंग की बात है न साथियों का साथ है
यहां तो हर वक्त “आंसू” ही हाथ है।
यहां वक्त भी बड़ा बेवक्त है
हर खबरों का वार बड़ा ही सख्त है।
महंगाई की मार हो या मंदी का वार हो
यहां तो सिर्फ खबरों की भरमार है ।
हर रास्तों से गुजरा हूं मैं खबरों की तरह
अब तो हमें भी टीआरपी की आदत सी हो गई।
ये खबर है या खेल है
यहां हर बात पे मेल ही मेल है
खबरों की वार तलवारों की धार
यहां है हर ख्वाहिशों की हार ।
यहां न कोई अंत है न शुरूआत है
हर खबरों पर सिर्फ अघात ही अघात है।
टीआरपी की होड़ में क्या मुंबई क्या गुजरात है
हर शहर में बस खबरों की बरसात है।
न जंग की बात है न साथियों का साथ है
यहां तो हर वक्त “आंसू” ही हाथ है।
यहां वक्त भी बड़ा बेवक्त है
हर खबरों का वार बड़ा ही सख्त है।
महंगाई की मार हो या मंदी का वार हो
यहां तो सिर्फ खबरों की भरमार है ।
हर रास्तों से गुजरा हूं मैं खबरों की तरह
अब तो हमें भी टीआरपी की आदत सी हो गई।
रजनीश कुमार
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