सपनों कि मंजिल को
तू जा रही है छोड़ के।
तू मुड़ के देख यहां पे
तू किसको जा रही है छोड़ के।
वो वादें वो कसमें
वो इरादें वो बातें
वो तन्हाई भरी रातें
तू याद कर फिर सोच ले
तू जा रही है किसको छोड़ के।
हर गम के बसेरों में तेरा साथ मैने पाया है
आज हू मैं अकेला
जा रही है तू मझे छोड़ के।
यादों की दीवारों पे लिखा है नाम तेरा
वो झांकती झरोखों से तेरी आंखे
किसे भूलूं तू ही बता
किधर को जाऊं तू ही बता।
तू जा रही है छोड़ के।
तू मुड़ के देख यहां पे
तू किसको जा रही है छोड़ के।
वो वादें वो कसमें
वो इरादें वो बातें
वो तन्हाई भरी रातें
तू याद कर फिर सोच ले
तू जा रही है किसको छोड़ के।
हर गम के बसेरों में तेरा साथ मैने पाया है
आज हू मैं अकेला
जा रही है तू मझे छोड़ के।
यादों की दीवारों पे लिखा है नाम तेरा
वो झांकती झरोखों से तेरी आंखे
किसे भूलूं तू ही बता
किधर को जाऊं तू ही बता।
कातिब & कहानीबाज
रजनीश बाबा मेहता
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