आतंकी हमलों की तस्वीर किसने देखी ?
धमाकों की गूंज किसने सुनी ?
सबने सुनी हमने सुनी आपने भी सुनी।
अगर किसी ने नहीं सुनी तो नेताओं ने नहीं सुनी।
गोली किसे लगी मातम किसके घर मना ?
आपके घर और बेगुनाहों के घर मना।
क्या कोई नेता इस हमले का शिकार हुआ ?
क्या किसी नेताओं के घर मातम मनाया गया ?
ये सवाल आज आक्रोश बनकर जनतंत्र से निकल रहा है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है गलती किसकी ?
मैं न तो नेताओं की गलती मानता हूं
ना किसी और की
गलती है हमारी और आपकी।
इन नेताओं को गद्धी पर बैठने का मौका किसने दिया ?
इन नेताओं के बेतुकी बयानबाजी करने का मौका किसने दिया ?
हमने और आपने
जो हो गया उस बात पर रोने की आदत किसकी है ?
आपकी और हमारी, न कि इन नेताओं की ।
मुंबई हमले में हताहत हुए लोगों की नींद किसने उड़ा दी
सीधा जवाब आतंकियों ने
सबने माना हमने माना और आपने भी माना।
आज मुंबई आजाद तो है लेकिन आंसू किसके बह रहे है ?
उस बेचारे ताज के जो कभी सीना ताने देश के गौरव के समान था।
भले ही ताज आजाद है लेकिन हम अभी भी गुलाम है
किसके ?
उन नेता रूपी आतंकियों के जो सफेद कपड़ों में हर जगह पाए जाते है।
जिसके लिए 5000 जानों का मतलब 5000 ही होता है
200 जानें गई तो क्या गई ?
लगता है पूरे 5000 का वादा किया था आतंकियो ने इनसे।
इनकी बयानबाजी में ऐसा ही लगता है।
आज रोते हुए ताज और नरीमन हाउस की तस्वीर आंसू बहाती ओवेरॉय होटल
क्या कभी भूल पाएगी इन घटनाओं को ?
धमाकों की गूंज किसने सुनी ?
सबने सुनी हमने सुनी आपने भी सुनी।
अगर किसी ने नहीं सुनी तो नेताओं ने नहीं सुनी।
गोली किसे लगी मातम किसके घर मना ?
आपके घर और बेगुनाहों के घर मना।
क्या कोई नेता इस हमले का शिकार हुआ ?
क्या किसी नेताओं के घर मातम मनाया गया ?
ये सवाल आज आक्रोश बनकर जनतंत्र से निकल रहा है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल है गलती किसकी ?
मैं न तो नेताओं की गलती मानता हूं
ना किसी और की
गलती है हमारी और आपकी।
इन नेताओं को गद्धी पर बैठने का मौका किसने दिया ?
इन नेताओं के बेतुकी बयानबाजी करने का मौका किसने दिया ?
हमने और आपने
जो हो गया उस बात पर रोने की आदत किसकी है ?
आपकी और हमारी, न कि इन नेताओं की ।
मुंबई हमले में हताहत हुए लोगों की नींद किसने उड़ा दी
सीधा जवाब आतंकियों ने
सबने माना हमने माना और आपने भी माना।
आज मुंबई आजाद तो है लेकिन आंसू किसके बह रहे है ?
उस बेचारे ताज के जो कभी सीना ताने देश के गौरव के समान था।
भले ही ताज आजाद है लेकिन हम अभी भी गुलाम है
किसके ?
उन नेता रूपी आतंकियों के जो सफेद कपड़ों में हर जगह पाए जाते है।
जिसके लिए 5000 जानों का मतलब 5000 ही होता है
200 जानें गई तो क्या गई ?
लगता है पूरे 5000 का वादा किया था आतंकियो ने इनसे।
इनकी बयानबाजी में ऐसा ही लगता है।
आज रोते हुए ताज और नरीमन हाउस की तस्वीर आंसू बहाती ओवेरॉय होटल
क्या कभी भूल पाएगी इन घटनाओं को ?
------Rajnish Kumar
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