Tuesday, November 5, 2019

।। रूह फिर भी ।।

writer & Director Rajnish BaBa Mehta कहानीबाज
writer & Director Rajnish BaBa Mehta कहानीबाज





।। रूह फिर भी ।।

एक रोज नाप लूंगा ज़िदगी 
सफर सांझ होगी फिर भी ।। 
ढूंढ लूंगा ख़्वाहिशें अब 
रास्ते मुड़ती होगी फिर भी ।।
झांक लो तस्वीरों में मेरी 
तिरछी लकीरें होगी फिर भी।।
आना कभी खिड़कियों की सिराहने तले 
घनी अंधेरी रात होगी फिर भी ।। 
ख़्वाबों की तलाश में ख़ातिर खूब हुई 
टूटी है उंगलियां थाम लेना हाथ फिर भी ।। 
पुस्तक लिए बैठा हूं मस्तक की तलाश में 
मिल भी जाऊं गैरों की जमीन पर मुलाकात कर लेना फिर भी ।। 
काली लकीरों ने सूर्ख़ रास्ता दिखा तो दिया 
ना जाने फ़िक्र की तलाश में मन क्यों भटक रहा है फिर भी ।।
उस रोज के आने का डर है जहां मौत मयस्सर है 
बंद होगी जब आंखें ढ़ूंढ़ लेना खुद की रूह को फिर भी।।



कातिब & कहानीबाज 

रजनीश बाबा मेहता 


writer & Director Rajnish BaBa Mehta कहानीबाज

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