Tuesday, February 11, 2014

मसक्कली की मौत

मसक्कली की मौत By Rajnish BaBa Mehta
टीन के छत से फड़फड़ाकर गिरी
सांसों को थामने में बिखरी रही
मौत से बचने की फिराक में थी
कई बार पंख से हवाओं का भी सहारा लिया
खेलते बच्चों ने भी जमकर उकसाया
सहसा दातों के बीच लहू में रंग गई
मौत के दामन से भागती मसक्कली
मौत के आगोश में ही समा गई
सोचता हूं, क्यों नहीं हाथों में उठाया
क्यों नहीं जिस्मों से लगाया
क्यों हत्यारा सा महसूस कर रहा हूं
क्यों टीन के छत से फड़फड़ाकर गिरी।।
                                            क़ातिब
                                     रजनीश बाबा मेहता 

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