Rajnish BaBa Mehta With Unique Instrument BAMHAM |
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खुद से खुद की मुलाकात, अक्सर यूं होती नहीं,
अपनी हसरतों की तले, कभी खामोश बात होती नहीं।।
उलझे धागों की तरह जिंदगी सुलझाने की तमन्ना तो है
बिखरे पन्नों पर ख्वाहिशों के, जज़्बात अब समेटी जाती नहीं।।
बेवक्त बेरूखी लिए किसी की धुन पर, अपनी राग छेड़ने की फिराक में हूं
परिंदों की जागती ज़िदगी को देख, अब अपनी उड़ान भरने की इंतजार में हूं।
लो लिख दिया तुम्हारी बातें, अब तो गुनाहगार होकर भी ठहरने की फिराक में हूं।
बरसों बीत जाते हैं, कभी कभी एक बात कहने में,
हर बार जमाने गुज़र जाते हैं, कभी-कभी अपनी ख्वाहिश संजोने में।।
उम्र गुजर गई एक सपने को पूरे करने में।
आज सोचता हूं कई रातों की मेहनत के बाद,
एक साज बनाया, एक श्रृंगार बनाया
बरसों की मेहनत से, एक आवाज बनाया ।।
नार्थ इस्ट की यात्रा के दौरान नागालैंड के दीमापुर में हमारी मुलाकात मोआ सुबॉंग से हुई। मोआ ने बमहम नाम का एक म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट बनाया। जिसके लिए उसे राष्ट्रपति के हाथों नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।
कातिब & कहानीबाज
रजनीश बाबा मेहता
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