Tuesday, October 22, 2019

।। तो ही ज़िंदा हो तुम।।

WRITER & DIRECTOR Rajnish BaBa Mehta 
WRITER & DIRECTOR Rajnish BaBa Mehta
दो दिलों के बीच दीवार हो, तो ही ज़िंदा हो तुम,

खामोश ख़्वाहिशों के बीच जज़्बात हो, तो ही ज़िंदा हो तुम।
अकेली रातों में सीढ़ीयों तले साथ बैठे हो, तो ही ज़िंदा हो तुम,
अंधेरे ख्वाब में दो मुर्दा जिस्म के लब लाल हो, तो ही ज़िंदा हो तुम।

बेबसी बात की नहीं हमरात वाली बेपरवाह सी हो, तो ही ज़िंदा हो तुम,
पहली मुलाकात में जीने लगी आखिरी जिंदगी , तो ही ज़िंदा हो तुम ।
उंगलियों की सिहरन तले हाथों को थामे हाथ, काफिलाओं की सजी जो बारात, 
वो शरमों हया तले झुकती आंखें लिए गुम हो, तो ही ज़िंदा हो तुम ।

रिश्तों की सारी गिरहें खोल, ख़्वाबों को खुद की लबों से बोल,
फिर भी तेरी-मेरी राहों में डर का है साया, तो ही ज़िंदा हो तुम।
गुजरे वक्त को पाने की तमन्ना में, अफसोस की स्याही हुई गहरी, 
कोरे कागजों पर अगर खींची तूने तिरछी लकीरें, तो ही ज़िंदा हो तुम।। 

वो अनजानी राहों पर अनजाना सफर,जानी-पहचानी तारीख छोड़ गया, 
कई रास्तों पर बेनाम रिश्तों की निशानी छोड़ गया, तो ही ज़िंदा हो तुम ।
बंद दरवाजों के पीछे आखिरी रात वाली कई सवालों का जवाब, एक ही छोड़ आया, 
कि तूम रूह बनकर आ जाओ औऱ मैं सुकून हो जाऊं , तो ही ज़िंदा हो तुम।

दो दिलों के बीच दीवार हो, तो ही ज़िंदा हो तुम,
खामोश ख़्वाहिशों के बीच जज़्बात हो, तो ही ज़िंदा हो तुम।
अकेली रातों में सीढ़ीयों तले साथ बैठे हो, तो ही ज़िंदा हो तुम,
अंधेरे ख्वाब में दो मुर्दा जिस्म के लब लाल हो, तो ही ज़िंदा हो तुम।

कातिब & कहानीबाज 
रजनीश बाबा मेहता

Monday, October 21, 2019

आखिरी सफर मौत !


Writer & Director Rajnish BaBa Mehta 

जिंदगी एक सफर है 
औऱ हम उसके मुसाफिर 
कारवां भी है 
औऱ हम उसके हमसफर । 
आज यही सोचा है 
रास्ता हमेशा चलता रहता है 
लेकिन कभी वो थकता नहीं । 
पथ भले ही पथरीले हो,
 लेकिन घाव गहरे नहीं। 
चाल भले ही धीमी है 
लेकिन हौसला रफ्तार पर है।
बढ़ने से गुरेज नहीं 
क्योंकि पहुंचने की जल्दी जो नहीं। 
इन सारी खुशियों को समेट कर 
सारी संजीदगियों को सोच लिया 
अब कभी खत्म ना होगी सफर 
क्योंकि बढ़ने से गुरेज जो नही हैं। 
सोच लो आजमा लो 
क्योंकि एक रोज मौत होगी आखिरी सफर।

कातिब & कहानीबाज 
रजनीश बाबा मेहता