WRITER & DIRECTOR RAJNISH BABA MEHTA |
बरसों से हर रोज किस्से बो रहा हूं
फिर भी लोग बड़ी अजीब बात पूछते हैं ।
सवाल ये कि बड़े होकर क्या बनोगे ?
हर बार की तरह इस बार भी वही जवाब दे रहा हूं ,
बड़ा होकर एक कामयाब किसान बनूंगा
बीतते वक्त के साथ खुद की आजमाईश कर
औऱ भी बेहतर बीज वाले किस्से बोउंगा ।
किस्सों की नस्ल कभी बिहार से तो कभी पंजाब से लाउंगा
कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर गांव की गलियों में जाउंगा
जरूरत पड़ी तो फिर सरहदें पार भी किस्सों की बीज बोउंगा ।
फिर भी किस्सों की फसल अगर एकबारगी वक्त के पैमाने तले कम पड़ी
तो फिर भगत-गांधी -आजाद-बोस को उसकी चिता से जगाउंगा ।
फ़ैज़-फ़िराक-फ़राज-फाजली को उसके कब्र के सिराहनों से आवाज लगाउंगा,
गौहर-जेद्दन-ज़ोहरा की घुंघरूंओ तले हजरत महल के साथ पूरी रात गुजारूंगा।
औऱ जब फसल लग जाएगी तो फिर उसकी उपज सिनेमा की दमाही हर रोज करूंगा।
कातिबा & कहानीबाज
रजनीश बाबा मेहता
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