महाभारत खत्म हो गया था।
पांडव हस्तिनापुर लौट रहे थे।
सब कौरवों का पता पूछ रहे थे।
केवल कृष्ण सर झुकाए हैं
औऱ
पांडव विजेताओं की तरह चल रहे हैं।
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सिर्फ भीष्म अपनी मौत को ,
खामोश चीखों के साथ आवाज लगा रहे थे।
हस्तिनापुर हंसते-हंसते रो रहा था ।
शूरवीर रक्त से लथपथ थे,
लेकिन
क़ातिल पर क़त्ल का इल्जाम नहीं था।
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भाई-भाई के साथ विजय ध्वज के पीछे चल रहे हैं
लेकिन
हर कोई रिश्तों पर चलने की परिभाषा पूछ रहे थे ।
लो हस्तिनापुर पांडवों का हो चला
लेकिन
हथियार सिर्फ कृष्ण ने रखे,
जिसने कभी उठाया ही नहीं।
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लड़ अभी भी सिर्फ क़ृष्ण ही रहे थे।
जो कभी लड़े नहीं।
एक संयोग में वियोग था
फिर भी विजय ही सच था।
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लोग सवाल पूछ रहे थे,
हारा कौन, मरा कौन ?
इस रण में जिंदा सिर्फ कृष्ण थे
जो अपनी मौत पर रो रहे थे।
कातिब & कहानीबाज
रजनीश बाबा मेहता
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