Writer & Director Rajnish BaBa Mehta |
जिंदगी एक सफर है
औऱ हम उसके मुसाफिर
कारवां भी है
औऱ हम उसके हमसफर ।
आज यही सोचा है
रास्ता हमेशा चलता रहता है
लेकिन कभी वो थकता नहीं ।
पथ भले ही पथरीले हो,
लेकिन घाव गहरे नहीं।
चाल भले ही धीमी है
लेकिन हौसला रफ्तार पर है।
बढ़ने से गुरेज नहीं
क्योंकि पहुंचने की जल्दी जो नहीं।
इन सारी खुशियों को समेट कर
सारी संजीदगियों को सोच लिया
अब कभी खत्म ना होगी सफर
क्योंकि बढ़ने से गुरेज जो नही हैं।
सोच लो आजमा लो
क्योंकि एक रोज मौत होगी आखिरी सफर।
कातिब & कहानीबाज
रजनीश बाबा मेहता
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